Jeevan Parichay

गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज का जन्म २९/६/१९९८ जयपुर में हुआ । महाराज श्री की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में ही हुई । बाल्यावस्था से ही ईश्वर की भक्ति करने का मन था । 3 वर्ष की आयु में रुद्राक्ष की माला से प्रभु का जाप करने लगे । परिवार वालों ने आश्चर्य किया । महाराज श्री के पिता श्री पांडित्य कर्म करने वाले जिससे महाराज श्री को भी लगन लगी और उन्होंने ईश्वर की भक्ति करना प्रारंभ कर दी । महाराज श्री को सभी सारांश एवं भगवत ज्ञान उनके पिताजी से ही प्राप्त हुआ । महाराज श्री के घर में साधु संत आते रहते थे, वेद पाठी ब्राह्मण आते रहते थे, घर में पूजा, हवन , भजन सब चलता रहता था। पास में एक संतों का आश्रम था, जहां संत लोग निवास करते थे ।समय व्यतीत हुआ और महाराज श्री स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए गए परंतु उनका मन तो ईश्वर की भक्ति में था। वह स्कूल में भी ईश्वर के भजन गाते रहते थे और जो भी उनके पास में बैठता उनको वह भजन में ही लगा लेते थे। इस कारण उनके गुरु भी उनसे परेशान हो गए थे। फिर उन्होंने जयपुर के प्रसिद्ध क्लासिकल संगीतकार पंडित जगदीश नारायण शर्मा जी की शरण में गए उनके सानिध्य में 7 साल तक संगीत का अध्ययन किया उम्र बढ़ती रही समय व्यतीत होता गया और महाराज श्री के मन में भक्ति उत्पन्न होती रही 18 वर्ष की आयु में उन्होंने योग्यपवित धारण किया और वेदों का अध्ययन करना प्रारंभ कर दिया, गुरु संत के साथ रहने लगे मन में सिर्फ एक ही भाव था की वैष्णव धर्म का प्रचार कैसे हो छोटी सी आयु में ही बहुत कुछ ज्ञान उन्हें प्राप्त हो गया था । वह जीवन मरण के चक्र को समझ गए थे, और नित्य प्रतिदिन ईश्वर का भजन करते धीरे धीरे उनके मन में इच्छा प्रकट हुई कि मुझे गोविंद देव भगवान के मंदिर में भजन की प्रस्तुति देनी है । गोविंद भगवान जयपुर के आराध्य देव हैं। काफी बार उन्होंने प्रयास किया परंतु ईश्वर उनकी परीक्षा लेने में व्यस्त थे । और उन्होंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा गुरुदेव के आशीर्वाद से दिखाए हुए मार्ग पर उन्होंने चलने का ठान लिया और सन २०१८ मैं उन्होंने गोविंद देव मंदिर में पहली प्रस्तुति दी । फिर काफी क्षेत्रों में धर्म का प्रचार किया । फिर गोविंद देव मंदिर में गोवत्स राधा कृष्ण जी महाराज जोधपुर वाले पधारे वह नानी बाई के मायरे के वक्ता हैं ,और जब उन्होंने उनका पद सुना तो वह मंत्रमुग्ध हो गए और उसी दिन से वह नानी बाई के मायरे का अध्ययन करने लगे और गोवत्स राधा कृष्ण जी महाराज को अपना गुरु मानने लगे ,और धीरे-धीरे गौ माता की सेवा करने लगे और भी हरि वैष्णव को प्रेरित करने लगे और वर्ष 2021 मार्च में उन्होंने पहला नानी बाई का मायरा जयपुर में किया और अब वह गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज बन चुके थे । परंतु अभी शास्त्र ज्ञान का संग्राम खत्म नहीं हुआ था और पुनः लग गए अपने अध्ययन में फिर उन्होंने 18 पुराण का अध्ययन करना प्रारंभिक कर दिया । उनका कहना है कि वह हरि वैष्णव धर्म का प्रचार करेंगे निस्वार्थ भाव से हर जगह हरि वैष्णव धर्म के प्रचार का ध्वजारोहण करेंगे । अभी महाराज श्री की आयु २३ वर्ष है और उन्होंने म्यूज़िक से डिप्लोमा भी किया हैं ।

पिताजी : ज्योतिषाचार्य पंडित औंकार मुदगल माताजी : चम्पा मुदगल बहन : एडवोकेट प्रियंका मुदगल

         ( हरिनाम सेवा )

गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज

    वक्ता नानी बाई का‌ मायरा