ऊपर से हम कहते हैं सब ईश्वर का है वो ही सब चलता हैं,, हमारा क्या हैं,, सब ठाकुर जी का हैं,, तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा बातें इतनी बड़ी बड़ी हैं परंतु ये सब आत्मा से नही बोल रहे हैं हम यह दुनिया को बेफकूफ बनाने के लिए बोल रहे हैं। पर हमें यह पता है लाख आंख से देखना वाला तुम्हे भी देखा रहा हैं,, तुम्हारी बातें सुन रहा हैं। जब तक आत्मा से नही जोड़ोगे भगवान से प्रीति सरल नहीं हैं। सिर्फ़ एक ही बात मन में रहेगी की हम ईश्वर के हैं और ईश्वर हमारे फिर प्रतिदिन हरिनाम संकीर्तन सेवा के लिए बोलना नही पड़ेगा, प्रतिदिन प्रभात फेरी के लिए फोर्स नही करना पड़ेगा। फिर ठाकुर जी चरणों में रख लेंगे। सच्ची माना इस बात को राधा रानी बहुत कृपामय हैं। वो तुरंत आपको स्वीकार करती हैं।
2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगने जा रहा है. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। भारत में दिखने के कारण का सूतक काल भी मान्य होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगन से 9 घंटे पहले लग जाता हैं, और ग्रहण खत्म होने के साथ ही समाप्त हो जाता है.
जानें भारत में कब दिखेगा चंद्रग्रहण?
साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगने जा रहा है। 8 नवंबर 2022 को साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। 8 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन लग रहा है। साल का ये अंतिम चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।
क्या होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण (What is Chandra Grahan?)
चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है. इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है. पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं. इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है.
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को भारत में 5 बजकर 32 मिनट से दिखाई देना शुरू होगा और शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में चंद्र ग्रहण का सूतक काल सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा।
कहां-कहां दिखाई देगा ये चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022 Visibility)
यह चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी-पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशान्त महासागर, हिन्द महासागर, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों से दर्शनीय होगा. दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप से कोई ग्रहण दिखाई नहीं देगा.
भारत में कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022 Visibility In India)
भारत में, पूर्ण ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल …..
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। ये चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा इसलिए ग्रहण के दौरान इसका सूतक काल भारत में भी मान्य होगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल
ग्रहण के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचें …..
सूतक काल के दौरान घर पर ही रहें. कोशिश करें कि ग्रहण की रोशनी आपने घर के अंदर प्रवेश ना करें.
सूर्य ग्रहण की तरह की चंद्र ग्रहण को भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए।
ग्रहण से पहले और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है ऐसा करने से ग्रहण का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं रहता।
सूतक काल के दौरान कुछ भी खाने पीने बचें…….
अगर ग्रहण से पहले कुछ भोजन बच गया है, तो ग्रहण खत्म होने के बाद इसका सेवन ना करें और नया भोजन बनाकर ही उसका सेवन करें।
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ख्याल (Chandra Grahan Precaution For Pregnant Ladies)
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें….
किसी भी परिस्थिति में ग्रहण को ना देखें।
ग्रहण के दौरान अपने पास दूर्वा घास रखें।
इस दौरान सिलाई, कढ़ाई, बुनाई जैसा कोई भी काम ना करें।
शांति से काम लें और किसी भी प्रकार का मानसिक या फिर शारीरिक तनाव न लें।
चंद्र ग्रहण के उपाय (Chandra Grahan Upay)
चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा और भगवान का ध्यान करें. इस तरह देवताओं की पूजा करना शुभ माना जाता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने पीने से बचना चाहिए, कहा जाता है कि ग्रहण के समय हमारे आसपास कई तरह के बैक्टीरिया पैदा होते हैं जो खाने के अंदर शामिल होकर आपके शरीर में जा सकते हैं।
चंद्र ग्रहण के बाद स्नान और दान का काफी खास महत्व है, मान्यता के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद अगर दान करते हैं तो काफी ज्यादा शुभ माना जाता है।
गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज वक्ता नानी बाई रो मायरो प्रतिदिन हरिनाम संकीर्तन सेवा विश्व गौ सेवा जागृति मिशन
जय श्री कृष्ण श्री सदगुरुदेव भगवान की जय राजस्थान की स्वर कोकिला एवं राजस्थानी लोकगीत को पहचान देने वाले, अपनी मधुर वाणी से सभी के हृदय में अपना स्थान रखने वाले हमारे आदरणीय , हमारे प्रिय श्री सीमा मिश्रा जी जिन्होंने प्रतिदिन हरिनाम संकीर्तन सेवा को उत्तम कार्य बताया हैं,, और उन्होंने भी वीडियो के माध्यम से सभी को जागृति संदेश दिया हैं। गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज वक्ता नानी बाई रो मायरो प्रतिदिन हरिनाम संकीर्तन सेवा विश्व गौ सेवा जागृति मिशन
दिवाली का त्योहार 24 अक्तूबर को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसके अगले दिन यानि 25 अक्तूबर को साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा। भारत में यह सूर्य ग्रहण आंशिक रूप से देखा जा सकेगा। ये सूर्य ग्रहण 4 घंटे, 3 मिनट का होगा. सूर्य ग्रहण दोपहर में 02 बजकर 29 मिनट पर लगेगा और इसका समापन शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। भारत में इसकी शुरुआत शाम को 04 बजकर 22 मिनट से होगी और यहां यह सूर्यास्त के साथ ही समाप्त हो जाएगा। सूतक सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले लगता है। भारत में सूर्य ग्रहण का आरंभ शाम 04:22 से होगया, ऐसे में यहां सूतक 25 अक्तूबर को ही सुबह 04:22 मिनट से लागू हो जाएंगे। यानि दिवाली की अगली सुबह ही सूतक काल लगेगा। सूतक के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं क्या हैं वो जरूरी नियम।
इन नियमों का करें पालन
सूतक काल में न ही भोजन बनाया जाता है और न ही ग्रहण किया जाता। हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं। यदि भोजन पहले से बना रखा है तो उसमें तुलसी का पत्ता तोड़कर डाल दें। दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्ता डालें। तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का प्रभाव खाद्य वस्तुओं पर नहीं पड़ता।
सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से ध्यान रखें। सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें और अपने पेट के हिस्से पर गेरू लगाकर रखें।
सूतक काल से ग्रहण काल समाप्त होने तक गर्भवती स्त्रियां किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। सूतक काल में घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें। इसके स्थान पर मानसिक जाप करना फलदायी रहेगा।
यह सभी मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं आप अपने सुविधाजनक पूजा कर सकते हैं ।
१) धनतेरस का शास्त्रोक्त नियम :
धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के उदयव्यापिनी तिथि को मनाई जाती हैं। यहां उदयव्यापिनी तिथि से मतलब है कि , जो तिथि सूर्य उदय के सात उदित होती है, उस दिन धनतेरस मनाई जाती हैं।
धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा की जाती हैं,, और शास्त्रों में षोडशोपचार पूजा का विधान हैं। षोडशोपचार यानी विधिवत रूप से 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना हैं।
२) धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए ?
धनतेरस के दिन नई चीज जैसे सोना, चांदी, पीतल, खरीदना शुभ माना गया हैं। इसके अलावा इस दिन धनिया खरीदना एवं झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ माना गया है, झाड़ू 1,3,5 की संख्या में ही लेवे।
३) धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं?
धनतेरस भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के रूप में मनाया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार दीपावली से पूर्व धन्वंतरी भगवान समुद्र मंथन से अमृत का कलश लेकर उत्पन्न हुए थे । इसलिए धनतेरस को धन्वंतरी जयंती भी कहते हैं ।
गोवत्स पंडित मोहित मुदगल जी महाराज वक्ता नानी बाई रो मायरो
जय श्री कृष्ण सभी हरि वैष्णव जन को गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत मंगलकामनाएं।
आप सभी हरि वैष्णव जन आज रिद्धि सिद्धि के दाता गणेश जी महाराज की पूजा अर्चना करें और एक विनम्र निवेदन हैं, की आप हर साल की भांति इस साल भी गणेश जी महाराज को अपने घर लेकर आते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। तो भैया गणेश जी को लाने की आवश्यकता ही नहीं हैं, वह तो पहले ही आपके घर में विराजमान हैं। अगर लाते हैं, तो आपका भाव हैं,घर लाने के बाद सिर्फ गणेश चतुर्थी के दिन ही नहीं प्रतिदिन उनकी सेवा करें। बहुत सारे लोग खुशी – खुशी में ले तो आते हैं, फिर 10 दिन बाद उनको पीपल के पेड़ पर बिठा देते हैं। ऐसा क्यों करते हो जिस भगवान की इतनी पूजा अर्चना की और गणेश चतुर्थी के बाद उनको पीपल के पेड़ पर बिठा दिया, तो कृपया अपने धर्म का मजाक ना उड़ावे कोई भी देवता को पहले घर में लाते हैं , फिर बाद में पीपल के पेड़ के नीचे बैठा देते हैं। नवरात्रि के अंदर माताजी को घर में लाते हैं फिर 9 दिन के बाद में पीपल के पेड़ पर बिठा देते हैं अरे भैया आपने पीपल के पेड़ को समझ क्या रखा है? पीपल का पेड़ साक्षात भगवान श्रीकृष्ण हैं, परंतु कोई भी अनावश्यक वस्तु हो उसको जाकर पीपल के पेड़ पर बिठा देते हो, कितना बुरा लगता है, इसका परंतु एक आदमी जैसा कर रहा है, वैसा ही सबको करना हैं। एक तो आप लोग हैं, जो पीपल पर किसी भी देवता को बिठा देते हैं। और क्या अधिक कहूं कुछ लोग ऐसे देखे मैंने जो विवाह संपन्न होने के बाद में अपनी पत्रिका भी पीपल में चढ़ा देते हैं। और एक हमारे भक्त मेहता नरसी जी हैं, जो सर्वप्रथम मायरो री कुमकुमं पत्रिका पीपल के पेड़ पर अर्पित करते हैं, क्योंकि उनका भाव था कि यह पीपल का पेड़ नहीं साक्षात भगवान श्री कृष्ण हैं। अगर आपको मूर्ति बनानी हैं, तो आप गोमय से मूर्ति बनाएं और पूजा संपन्न होने के बाद पीपल के पेड़ में ना बिठाकर उसे किसी जल में रख देंवे और फिर उस जल को अगर आप पीपल के पेड़ पर चढ़ाएंगे तो पीपल के पेड़ को भी पुष्टि मिलेगी। ऐसा करना भी आपकी भक्ति में एक नंबर बढ़ा देगा । देखा जाए तो इतनी बड़ी विशाल मूर्ति बनाने की आवश्यकता ही नहीं हैं, परंतु यह हमने भगवान की मूर्ति नहीं हमारे अहंकार की मूर्ति बनाई हैं। हमें पता हैं, हमारी इस बात का आप लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। परंतु हमारा सिर्फ कहने का कार्य हैं, जिस प्रकार घर में पिता पुत्र को संबोधित करते हुए कोई कार्य बताते हैं, और यदि उस कार्य को पुत्र नहीं करें तो पिता का सिर्फ कहने का कार्य था। जो उन्होंने कर दिया इसी प्रकार अगर आप लोग करें तो हमारा सनातन धर्म और मजबूत बनेगा, और लोगों को प्रेरणा मिलेगी। जिससे हम गलत मार्ग पर जा रहे हैं। उसे हम सही कर सकेंगे परंतु सबको जागृत होना पड़ेगा ।
परम पूज्य गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज के शिष्य
गोवत्स श्री मोहित मुदगल जी महाराज
प्रतिदिन हरि नाम संकीर्तन सेवा विश्व गौ सेवा जागृति मिशन